ममता
ममता देकर पीड़ा हरती,
जब-जब संकट आते हैं l
मानव ही क्या,पशु-पक्षी भी,
माँ की महिमा गाते हैं l
ममता देकर पीड़ा हरती…l
बच्चों की रक्षा को माँ हर,
संकट से लड़ जाती है l
मौत भी आए आगे उसके,
अडिग-अचल अड़ जाती है l
इसकी ममता के आँचल में,
स्वप्न सलोने आते हैं l
मानव ही क्या पशु-पक्षी भी,
माँ की महिमा गाते हैं l
ममता देकर पीड़ा हरती…l
हर कोई यह गाँठ बाँध ले,
हर कोई यह ध्यान धरे l
पाप का भागी बन जाता है,
जो इसका अपमान करे l
सुख-दु:ख इस नश्वर जीवन के,
हमको यही बताते हैं l
मानव ही क्या, पशु-पक्षी भी,
माँ की महिमा गाते हैं l
ममता देकर पीड़ा हरती…l
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
– राजीव ‘प्रखर’
मुरादाबाद (उ. प्र.)
मो. 8941912642