ममता
ममता (दुर्मिल सवैया )
ममता अति स्नेह लगाव दुलार लगे प्रिय मादक मोह भरी।
अति मोहक भाव रखे मन में अपनेपन में वह नव्य हरी।
सुखदा नित प्रेमिल वृत्ति धनी खुद मातृ बनी मधु रागिनि है।
उर निर्मल स्वच्छ सदा शिशु के प्रति उज्ज्वल दिव्य सुहागीनि है।
सरला तरला दिल भव्य त्वरा गहरा ममता मन सावन है।
अति माधुर रंग सलोन सुधा सम चित्र मनोरम भावन है।
ममता जब होत विशाल महा य़ह लोक सदा मन में बसता।
बढ़ती ममता बनती यह सागर प्रेम अपार तभी जगता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।