ममता का आँचल खो गया
मेरी आँखों से माँ का लगाया काजल खो गया।
मेरे सिर पर से कहीं ममता का आंचल खो गया।
रोज सुबह वो सबसे पहले उठ जाया करती थी
घर आंगन बुढारकर अन्धकार भगाया करती थी
वो सूर्य की किरणों का करती नित प्रति स्वागत
मुझमें नई ऊर्जा का संचार भर जाया करती थी
सुप्रभात बेला का प्रथम सूर्य नमस्कार खो गया।
नित प्रतिदिन ममता का कर्तव्य निभाया करती थी
मुझको मम्मी बहुत स्नेह देकर नहवाया करती थी
वो करती थी निज हाथों मेरा सदा सोलह श्रृंगार
मेरे माथे के कोने पर काला टीका लगाया करती थी
मुझको राजा बाबू बनाने वाला व्यवहार खो गया।
मम्मी मेरी सदा मेरे ऐसे पीछे पड़ जाया करती थी
दौड़ कर मुझको पकड़ खाना खिलाया करती थी
कभी-कभी जो छोड़ देता था कुछ सीत बासन में
अपनी ममता का प्रसाद समझ खुद खाया करती थी
भक्त भगवान के निर्मल प्रेम का वो बन्धन खो गया
कैसे बताऊँ अन्तर्यामी थी इतनी बड़ी मेरी मम्मी
भूख प्यास मेरी बिन बोले जान लेती थी मेरी मम्मी
जब जब सताती मुझको कोई कष्ट और पीड़ा
रात-रात भर जगराता कर देती मेरे लिए मेरी मम्मी
नित दर्शन देने वाला जगत जननी का संस्कार खो गया
✍️ स्वतंत्र गंगाधर
Mothers day special poam
10-05-2020
रात:-11:07 बजे