मन
सादर नमन आज के प्रयास से बने छंद।
छन्द—- विमोहा (मपनीयुक्त वर्णिक)
मापनी—212 212
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मन
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बावला हो गया।
सोचता ही गया।
चित्त मेरे बता।
हो गई क्या खता।
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मेल खाता नहीं।
देह से तू कहीं।
मान जा शांत हो।
चित्त चिंता कहो।
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मुश्किलों में कहीं।
साथ देता नहीं।
तोडना संग है।
चित्त से अंग है।
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लूटता चैन है।
जागता रैन है।
चित्त से हांपती।
देह है कांपती।
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ठान मैंने लिया।
बैर यूँ है किया।
बांधना चित्त है।
प्रेम की भित्त है।