मन
मन अनवरत चल रहा है।
ये मामला कुछ व्यक्तिगत चल रहा है।
जिंदगी गेंद सी हो गयी है मानो,
उठा पटक अनगिनत चल रहा है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
मन अनवरत चल रहा है।
ये मामला कुछ व्यक्तिगत चल रहा है।
जिंदगी गेंद सी हो गयी है मानो,
उठा पटक अनगिनत चल रहा है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी