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28 Dec 2021 · 1 min read

मन होता है कुछ बांटें!

मन होता है कुछ बांटें
वो जलती-सुलगी रातें
कुछ अनबुझ गहरी घातें
जब सपने भूखे रहते..
करते रोटी की बातें..

वो कदम-कदम की चोटें
मौसम की अविचल घातें
वो बस अभाव की चिंता
वो झूठ-मूठ के वादें

जब बचपन युवा रहा था
जब मरना सरल लगा था
वो संघर्षों की यादें..
तुम बोलो किससे बांटे..
वो अनबुझ काली रातें?

स्वरचित
रश्मि लहर

Language: Hindi
159 Views
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