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24 Jul 2022 · 1 min read

मन है खुशियों से भरा

चीरकर बादल को किरणें चूमती हैं जब धरा को,
झूमती है तब ये धरती और गगन नीला हुआ।

इठलाती हुई कोई नदी जब छलक जाती है यूँ,
तब कहीं बनता है जाकर फिर कोई रास्ता नया।

सनसनाती ये हवाएं महका जाती हैं चमन को,
खिलखिलाते फूलों का ओढ़कर आँचल नया।

गुनगुनी सी धूप पाकर झूमते ये पेड़ पौधे,
बारिशों के आँचल तले खिलखिलाते फूल पंक्षी,
प्रकृति का ये रूप देख मन है खुशियों से भरा, मन है खुशियों से भरा।
-karuna verma

Language: Hindi
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