मन हमेशा एक यात्रा में रहा
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
कहीं से .. कहीं भी..
तक की यात्रा ।
समय और दूरी के नियमों से बेख़बर
बंदिशों से बेफिकर
मन लांघता गया
अनंत की सीमाओं को ।
मन लौटा भी
कभी भरा हुआ सा
कभी ख़ाली हाथ ।
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
कहीं से .. कहीं भी..
तक की यात्रा ।
समय और दूरी के नियमों से बेख़बर
बंदिशों से बेफिकर
मन लांघता गया
अनंत की सीमाओं को ।
मन लौटा भी
कभी भरा हुआ सा
कभी ख़ाली हाथ ।