मन से मन का मेल , क्या यहीं प्रीति है
मन से मन का मेल ,क्या यहीं प्रीती है।
दिल से दिल का मेल ,क्या यही रीति है॥
राधा ने देखा ज्यों ही,मन के दीप जल उठे।
लबों से भाव उतरते ,तन की भाषा जाग उठी॥
मन से मन का मेल ,क्या यहीं प्रीती है।
दिल से दिल का मेल ,क्या यही रीति है॥
राधा ने देखा ज्यों ही,मन के दीप जल उठे।
लबों से भाव उतरते ,तन की भाषा जाग उठी॥