मन से मन का बंधन
मन से मन का बंधन बस जुड़ जाता ऐसे ही ,
खिलखिलाती हवाओं सा,
गुनगुनाती घटाओं सा,
लहरों की वफ़ाओं सा,
अपनों की ठंडी छाँव सा,
माँ की सच्ची दुआओं सा।
मन से मन का बंधन बस जुड़ जाता ऐसे ही,
पक्षियों की चहचहाहट सा,
खुशियों के जैसी आहट सा,
मटकियों और पनघट सा,
बच्चों के मासूम हठ सा,
खेतों में रहट सा।
मन से मन का बंधन बस जुड़ जाता ऐसे ही,
बेचैनियों में राहत सा,
अपनों की सच्ची चाहत सा,
खूबसूरती से सजावट सा,
मीठी सी शरारत सा,
भोली सी मुस्कुराहट सा,
मन से मन का बंधन बस जुड़ जाता ऐसे ही।
-karuna verma