मन वैरागी हो जाता है
जब बैठी वह
छत पर आकर
या आँगन में
या छज्जे पर
फिर देख उसे
यह मन मेरा
क्यों अनुरागी हो जाता है
मन वैरागी हो जाता है
उस चिड़िया की चढ़ती उड़ान
को देख जगे है स्वाभिमान
विद्रोह से भरता हृदय मेरा
तत्क्षण बागी हो जाता है
मन वैरागी हो जाता है…..