(((मन नहीं लगता)))
“मन नहीं लगता”
झंझावतों से ऊब कर,
संघर्षों से अब टूट कर,
मेरा मन कहता है सही-सही —
“मन नहीं लगता है !”
गृहस्थी की जरूरतों से,
बाज़ारों की हसरतों से,
मेरा मन घायल है अभी
मेरा मन कहता है सही-सही —
“मन नहीं लगता है !”
पत्नी के तानों से,
पुत्रों के कटुवाणों से,
मेरा मन रुठ गया है कहीं
मेरा मन कहता है सही-सही —
“मन नहीं लगता है !”
दुहिता की ख़्वाहिशों से,
अरमानों की लाशों से,
मेरा मन बुझ गया है सही
मेरा मन कहता है सही-सही —
“मन नहीं लगता है !”
बदलते रिवाजों से,
अब घटते संस्कारों से,
मेरा मन घुँट गया है भई
मेरा मन कहता है सही-सही —
“मन नहीं लगता है !”
मौसम के मिजाजों से,
प्रकृति के कुचालों से,
मेरा मन ख़फ़ा है कहीं-कहीं
मेरा मन कहता है सही-सही —
“मन नहीं लगता है !”
टूटते समाजों से,
झूठे कर्णधारों से,
मेरा मन हुआ है दही-दही
मेरा मन कहता है सही-सही
“मन नहीं लगता है !”
दिनेश एल० “जैहिंद”
जयथर, मशरक