मन मेरे कुछ बोल
मन मेरे बातें तोल के ना बोल,
चंचल नैनवा की सुन ना कोई बोल,
कुछ तो अपने मन की भी बोल,
मन मेरे बातों में प्रेम मिश्री घोली,
प्रियतम कि कुछ बातें बोल,
सुनें को जिसे तरसे , मेरे कानों के कर्णफूल,
मन मेरे बातें कुछ तो बोल
कम पर जाएं अल्फ़ाज़ो तो,
तो ले लो किसी से मोल,
मन मेरे बातें उनकी बोल,
ले चल मुझको यादों के बस्ति में,
फिर ना मुड़ के चलने को बोल रे,
मन मेरे ले चल प्रिय के घर,
मन मेरे बातें गोल मोल के ना बोल,
जो कहना है सीधे सीधे बोल
ताना भी सून ले हम,
करके तुमको कठोर थे,
मन मेरे प्रिय के विषय में,
कुछ तो बोल