मन मेरा यूँ ही उदास हो जाता है।
कभी – कभी मन मेरा यूँ ही उदास हो जाता है |
मैं करता हूं क्या और ना जानें क्या हो जाता है ||1||
घड़ी भर को ना सुकून है इस हयाते जिंदगी में |
एक को ढूढनें जाता हूं दूसरा कही खो जाता है ||2||
अब तो मेरे हालात भी ना साथ देते हैं मेरा यहाँ |
बुरे वक्त में इंसान भी कितना तन्हा हो जाता है ||3||
कोई समझा दे उनको हम यूँ ही बस खामोश हैं |
उलझने से उनसे दिल मेरा गमजदा हो जाता है ||4||
क्यों करते हो इतनी ज्यादा मोहब्बत तुम हमसे |
ये इश्क़ है जालिम इसमें दिले सुकूं खो जाता है ||5||
कोई बता दे उनसे कि अभी मैं जिंदा हूं मरा नहीं |
कभी कभी आफताब भी बादलों में खो जाता है ||6||
क्या पता दूं मै तुमको अपनें मकान का ऐ दोस्त |
अक्सर अनजानी जगहों पे रूकना हो जाता है ||7||
ताज मोहम्मद
लखनऊ