मन मेरा देवालय सा हो गया
बनी सांसे लए बांसुरी सी मेरी
घर मानो संगीतालय सा हो गया
पुष्प ऐसे खिले ना खिले थे कभी
मन मानो पुष्पालय सा हो गया
तुम जो आ बैठे हो धड़कनों अब
हृदय मेरा देवालय सा हो गया
प्रज्ञा गोयल ©®
बनी सांसे लए बांसुरी सी मेरी
घर मानो संगीतालय सा हो गया
पुष्प ऐसे खिले ना खिले थे कभी
मन मानो पुष्पालय सा हो गया
तुम जो आ बैठे हो धड़कनों अब
हृदय मेरा देवालय सा हो गया
प्रज्ञा गोयल ©®