** मन में यादों की बारात है **
** मन में यादों की बारात है **
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मन में यादों की बारात है,
मिलती खुशियों की सौगात है।
मंजिल क्या होगी यह ना पता,
फीकी-फीकी सी शुरुआत है।
चरित्र ही तो है सबका आइना,
पल-भर में दिखती औकात है।
जिंदादिल से जीते हैँ जिंदगी,
दिल में जिंदा वो जज्बात है।
सावन के झूलें हैं झूलते,
हिय को भाती हर बरसात है।
मनसीरत रोशन है चाँद से,
तारों से सजती हर रात है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)