* मन में कोई बात न रखना *
* गीतिका *
~~
मन में कोई बात न रखना, सब कुछ कहना है।
चाहे कुछ भी हो जाए अब, दूर न रहना है।
जब है निश्छल स्नेह हमारा, निर्मल अति पावन।
बिना रुके जीवन के पथ पर, अविरल बहना है।
भ्रमित किया करते हैं हमको, आकर्षण जग के।
बाधाओं के हर पर्वत को, बिल्कुल ढहना है।
भाव निराशा के जब आते, कदम ठिठक जाते।
आत्म निरीक्षण करना है नित, सब कुछ सहना है।
धन दौलत सब व्यर्थ समझ लो, बंधन माया के।
कठिन समय जब काम न आता, कोई गहना है।
सत्य रखें पहचान स्वयं की, मिथ्या को तजकर।
छोड़ दीजिए छद्म मुखौटा, क्यों कर पहना है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २३/०९/२०२३