मन में उतरते भावों के सैलाब को
कागज खत्म
कलम टूट गई
इसकी स्याही खत्म
अब लिखना बंद भी करो
चलो मन में उतरते भावों के
सैलाब को
कुछ देर पीछे धकेलकर
इसकी चौखट के दरवाजे के
पल्ले पर
सांकल लगाते हैं
अरे यह क्या
इसकी दरार में से
फिर पानी का बहाव
बाहर निकलने लगा
यह दिल है कि मानता
नहीं
यह लो
यह तो फिर
एक छोटी सी किश्ती बनकर
इतने कम पानी में भी
इसके ऊपर तैरने लगा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001