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7 Sep 2021 · 1 min read

मन में उतरते भावों के सैलाब को

कागज खत्म
कलम टूट गई
इसकी स्याही खत्म
अब लिखना बंद भी करो
चलो मन में उतरते भावों के
सैलाब को
कुछ देर पीछे धकेलकर
इसकी चौखट के दरवाजे के
पल्ले पर
सांकल लगाते हैं
अरे यह क्या
इसकी दरार में से
फिर पानी का बहाव
बाहर निकलने लगा
यह दिल है कि मानता
नहीं
यह लो
यह तो फिर
एक छोटी सी किश्ती बनकर
इतने कम पानी में भी
इसके ऊपर तैरने लगा।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
254 Views
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