** मन मिलन **
** गीतिका **
~~
मन मिलन को तड़पने लगा देखिए।
अब कलश भाव भरने लगा देखिए।
रात का है समय खूबसूरत बहुत।
चांद नभ पर चमकने लगा देखिए।
देख दर्पण युवा मन बहकने लगा।
खूब बनने सँवरने लगा देखिए।
सिंधु है भावना का गहन जब बहुत।
स्नेह पथ पर मचलने लगा देखिए।
नित्य जो प्रीति के स्वप्न देखे मधुर।
कुछ असर आज दिखने लगा देखिए।
जब निशा में सितारे चमकने लगे।
चांद भी खूब खिलने लगा देखिए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)