मन माही
Main Logo
मन माही
प्रीत पिया प्रेम रंग से रंगी
बात नित नेह वचन से कही
रोज रोज ये सुनकर मै…प्रिय प्रियतम
निखरती दिनों-दिन जा रही
जैसे चांद से चांदनी खिले
हवा में खुशबू बहे
बिल्कुल ऐसे ही मैं
तेरी प्रीत में बह रही।
हमसफ़र मेरे सुन
भाग-दौड़,झिकपिक से परे
चलें अब दूर कहीं .. जहां
तेरे-मेरे सिवा कोई और हो नही
गीत अनुराग के सुनाई दे सही
फिजाओं से भी सुनो!!
यही आवाज आ रही…
कुछ समय हमारे लिए भी
निकालो मेरे मन माही,,
-सीमा गुप्ता