“मन बावरा मेरा ये बुद्धु”
मन बावरा मेरा ये बुद्धु ये आवारा बहुत है
इक़ मुस्कराहट ही इसको, इशारा बहुत है
हुस्न वाले की दो बातों से बहल जाता है ये
इश्क़ के नाम का अश्क़ इसे ग़वारा बहुत है
इक़ झलक प्यार की मिले तो मचल जाता है
किसी के साथ को तड़पता ये बेचारा बहुत है
आह भरता है ,ये जाने कैसे निबाह करता है
कई रोज़ तन्हाई में इसने, दिन गुज़ारा बहुत है
भूल गया है, कितनी बार ख़ुदा का खौफ़ तक
बेख़ुदी में दिल ने मुहब्बत मुहब्बत पुकारा बहुत है
मन बावरा है मेरा ये मन बुद्धु ये आवारा बहुत है
आदत से है थोड़ा मजबूर दिवाना बंजारा बहुत है
___अजय “अग्यार