मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
फिर किसी पर आ गया देखो अगर।
मत किया करना किनारा तुम वहां।
हो शुरू शायद यहां नूतन डगर।
~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०९/११/२०२३
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
फिर किसी पर आ गया देखो अगर।
मत किया करना किनारा तुम वहां।
हो शुरू शायद यहां नूतन डगर।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०९/११/२०२३