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20 Dec 2020 · 1 min read

मन पर दोहे

मन पर दोहे
★★★★★★★★★★★★★★★
मन मानव का है मुकुर ,यही खोलता मर्म।
मन ही सदा सँवारता , मानवता का धर्म।।

मन को मन से जोड़ता,मनभावन की प्रीति।
मन ही मानव में भरे,इस जग की सब रीति।।

मन जब मतवाला बने,मन को देकर त्राश।
इस जीवन संसार का,करता यही विनाश।।

जब झनके सुर ताल पर, मन वीणा के तार।
तब मन ही मनभाव में , भर देता है प्यार।।

मन के पावन प्रेम से,खुशियाँ मिले अनंत।
मन ही मानव को करे , परम सनेही संत।।
★★★★★★★★★★★★★★★
स्वरचित ©®
डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)

Language: Hindi
991 Views
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