मन न हुआ
उसकी यादों ने एक रोज मुझको छुआ।
कोई कर देता गर मेरे हक में दुआ।
यादें आती हैं जब बस रुला जातीं हैं,
दूर तन है हुआ पर दूर मन न हुआ।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
उसकी यादों ने एक रोज मुझको छुआ।
कोई कर देता गर मेरे हक में दुआ।
यादें आती हैं जब बस रुला जातीं हैं,
दूर तन है हुआ पर दूर मन न हुआ।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी