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9 Feb 2024 · 1 min read

मन नहीं होता

मन नहीं होता अब तुमसे बात करने का
बिना बात कसूरवार बन आह भरने का

क्यों बनती रहूं तेरे सामने बार बार बेचारी
अपने दम पर आगे बढ़ने की, क्यों न करूं तैयारी

बार बार क्यों तोड़ा जाये मेरा आत्मसम्मान
तू भी सिर्फ इंसान है ,नहीं हो भगवान।

मुफ्त की नौकर बन क्यों, बनू घर की रानी
बदलूगी खुद को , बनाऊंगी नयी कहानी।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
162 Views
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