“” *मन तो मन है* “”
“” मन तो मन है “”
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है
मन तो मन
नहीं मानें कहना,
और चले करता सदैव मन की अपनी !
कभी ना बैठे ये एक पल चैन से यहाँ पे…..,
और रहे घूमता करता मन अपनी मनमानी! 1!!
सुनें
मन की सदा
ख़ूब सोचें विचारें,
और फिर चलें उसपे हम आगे बढ़ते !
कभी ना रखें अँधी श्रद्धा-विश्वास मन पे..,
और करें वही जो हो यहाँ पसंद दिल से !! 2 !!
मन
है एक मस्त हाथी
चले अपनी चाल,
और लहराए निरंकुश होकर !
लगाएं चलें इसपे ज्ञान का अंकुश ….,
और बनाए रखें सदा धैर्य संतोष यहाँ पर!! 3 !!
मन
दाता मन लालची
मन राजा अज्ञानी,
और रहा बना मन ही रंक !
यदि मिल जाए इसे कोई यहाँ सद्गुरु ..,
तो, निश्चित होता चलेगा बदलेगा ये जीवन! 4!
पंछी
सा चले उड़ता
मन ठहरे नहीं,
और चले घूम आए ये दुनिया पूरी !
है बना मोह, माया का दास मन …..,
और रहा भागता दौड़ता ज़िन्दगी सारी !! 5 !!
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सुनीलानंद
रविवार,
12 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |