*मन चाहे जो करिए*
कुछ नहीं होता है यहां ,मन चाहे जो करिए ।
जहां आदमी मालिक हो, कतई मत डरिये ।।
यहां पे जिंदगी खराब है, तो बस वेसबूर की
ग़लीयों से क्यों गुजरे ? चल फांसी पे चढ़िए।।
इतने घिनौने कारनामों पर ,मालिक़ हंसता है
फिर बचा कौन ?आप जिसपे तसबबुर करिए।।
इंसान के प्रान खीँच रहा हो यहां कोई आदमी
आप खबरें पढ़ते हैं पन्नों की रात दिन, पढ़िए।।
उनका मतलब क्या?कल किसकी क़मर टूटी
सजा क्यों ?दाँत दिख़ाके कहते हैं,मत लड़िये।।
जहां वेकाबू में हो सब कुछ,वहां बदचलन क्या
यहां खून हंसके पीते हैं लोग’साहब’पिला मरिये।।