मन चंचल है फिर भी …..
मन चंचल है फिर भी स्थिर हूँ मैं
मैं चलना चाहता हूँ मंजिल नहीं कोई
हे एक रास्ता अहसास का विश्वास का
दिन है मगर उजाला नही कोई
रात है लेकिन रात का बहाना है कोई
ना दिन होता ना रात होती
क्या मंजिल हमारे पास होती
बेकरारी हे तन्हाई है और विश्वास नही कोई
किसी से प्यार भी है लेकिन अहसास नही कोई
दूर ही तो थे हम ना पास बसेरा है
अब क्या यहां तेरा है और क्या यहां मेरा है
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Swami Ganganiya