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14 Apr 2023 · 1 min read

अन्तर्मन

मन के शिखर पर,
निराशा के धुंध छाएं है।

हृदय के सागर में,
वेदना के स्वर समाएं हैं।

अभिलाषाओं पर कहर ढहीं,
तब सुप्त व्यथा की लहर बही।

अन्तर्मन फिर व्यथित हुआ,
और करुण हृदय भी द्रवित हुआ।
।। रुचि दूबे।।

Language: Hindi
1 Like · 194 Views
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