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29 Nov 2016 · 1 min read

मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है

मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है
साहिल टूट जाये तो समंदर टूट जाता है

बिखर गया तिनका तिनका आँधी के आने से
गर चट्टान टकराए तो खंजर टूट जाता है

थम जाए खुदा जाने कब मेरे दिल की धड़कन
कुछ रोज़ाना ही दिल के अंदर टूट जाता है

रॉकर किसी के रुका नहीं पर्वतों से झुका नहीं
जब मिले कोई चाणक्या सिकंदर टूट जाता है

नहीं होता नहीं नहीं यकीन खुदा की खुदाई पे
जब भी रू-ब-रू आँखों के मंज़र टूट जाता है

हरगिज़ नहीं गुज़रा इंसान बिना इंसान का
तन्हाई की मार से धुरंधर टूट जाता है

सिर्फ़ इतनी सी बात है दुनियाँ समझ नहीं पाती
‘सरु’ प्यार से नफ़रत का मंतर टूट जाता है

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