मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है
मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है
साहिल टूट जाये तो समंदर टूट जाता है
बिखर गया तिनका तिनका आँधी के आने से
गर चट्टान टकराए तो खंजर टूट जाता है
थम जाए खुदा जाने कब मेरे दिल की धड़कन
कुछ रोज़ाना ही दिल के अंदर टूट जाता है
रॉकर किसी के रुका नहीं पर्वतों से झुका नहीं
जब मिले कोई चाणक्या सिकंदर टूट जाता है
नहीं होता नहीं नहीं यकीन खुदा की खुदाई पे
जब भी रू-ब-रू आँखों के मंज़र टूट जाता है
हरगिज़ नहीं गुज़रा इंसान बिना इंसान का
तन्हाई की मार से धुरंधर टूट जाता है
सिर्फ़ इतनी सी बात है दुनियाँ समझ नहीं पाती
‘सरु’ प्यार से नफ़रत का मंतर टूट जाता है