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21 Sep 2024 · 1 min read

मन के मनके फोड़ा कर…!!

मत यूँ हाथ मरोड़ा कर।
दिल को दिल से जोड़ा कर।

खट्टी – मीठी बातों से,
मन के तार झिंझोड़ा कर।

जब जब गलती हो मेरी,
कस के खूब निचोड़ा कर।

जीवन सौम्य – सरल होगा,
गुस्से को कुछ थोड़ा कर।

जो मन में अंगार भरे,
ऐसे बन्धन तोड़ा कर।

लोग पतंगें लूट रहे,
ढीली डोर न छोड़ा कर।

मन्दिर में अब राम कहाँ ?
मन के मनके फोड़ा कर।

पंकज शर्मा “परिंदा”🕊️

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