मन के मनके फोड़ा कर…!!
मत यूँ हाथ मरोड़ा कर।
दिल को दिल से जोड़ा कर।
खट्टी – मीठी बातों से,
मन के तार झिंझोड़ा कर।
जब जब गलती हो मेरी,
कस के खूब निचोड़ा कर।
जीवन सौम्य – सरल होगा,
गुस्से को कुछ थोड़ा कर।
जो मन में अंगार भरे,
ऐसे बन्धन तोड़ा कर।
लोग पतंगें लूट रहे,
ढीली डोर न छोड़ा कर।
मन्दिर में अब राम कहाँ ?
मन के मनके फोड़ा कर।
पंकज शर्मा “परिंदा”🕊️