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16 May 2022 · 1 min read

मन के भीतर

मन के भीतर
कुछ कुछ
व्यवस्थित सा
कुछ अव्यवस्थित सा
विचारों का
समूह होता है
सुख और दुःख
आशा-निराशा
संतोष-असंतोष
शेष सभी कुछ
जिनको जीता है
कभी तो
कभी मर जाता है
ये विचारों का प्रवाह
जिसे कौन बांध पाया है
हमारे विचारों से उपजी
हमारी मानसिकता करती है
हमें परिभाषित
जो होती है
हमारे व्यक्तित्व की पहचान
और हमारे मन का
दर्पण भी।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
12 Likes · 1 Comment · 265 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
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