मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
सबकी नज़र से बचा के रखा है।
ढूंढता हूं बस उस अल्हड़ बचपने को,
न जाने कहां बचपना खो गया है।।
अमित मिश्र