-: { मन की वेदना } :-
मैं ही मन की वेदना , मैं ही तो अभिमान हूँ ,
है मुझमे भी ज़ीने की आरज़ू , मैं भी तो इंसान हूँ ,,
मेरे मन में भी उठती है , कुछ दबी हुई उमंग की तरंगें ,
ज़ुबा पर जो कभी आते नही , दिल के तहखाने में कैद
मैं वो अरमान हूँ ,,
दुनिया ने हमेशा अपने नज़र से, तोहमतें ही लगाई है मुझपर ,
जिसकी नज़रों ने हमेशा परखा है मुझे , माँ पापा का मैं वो
स्वाभिमान हूँ ,,
जब तक साँसे हैं तुम साया बन , साथ चल लो मेरे ,
जिंदगी का क्या भरोसा , शायद पल दो पल की ही मैं
मेहमान हूँ ,,
मत कर तलाश तू अपना मकां , किसी गैर के दिल में ,
तेरे उन्मुक्त उड़ने के लिए , खुला मैं एक आसमान हूँ ,,
तेरी मन मर्ज़ी का मोहताज़ हो गया है , मेरा सारा वज़ूद ,
कभी बेइंतहा मोहब्बत की दास्ता तो , कभी मैं सिर्फ
अपमान हूँ ,,