मन की मन में
मन की मन में रखोगे, यदि छल कपट समेट।
अतिथि बनेगा अस्थमा, बढ़ जाएगा पेट।।
बढ़ जाएगा पेट, रोग काया पर लक्षित।
जोड़ दर्द, मधुमेह, कब्ज, तन में आरक्षित।
कह संजय कविराय, सुरक्षा कर लो तन की।
करो ईर्ष्या त्याग, रखो मत मन में मन की।।
संजय नारायण