मन की पीड़ा
मन की पीड़ा
मन के भीतर
मूक सी है
कैसी जीवन में
जीवन की
भूख सी है
कोमल मन में
भाव समाहित
ह्रदय में खिली
कोई धूप सी है
रिश्तों में विफलता
सम्बन्धों की चूक सी है।
मन की पीड़ा
मन के भीतर
मूक सी है
कैसी जीवन में
जीवन की
भूख सी है
कोमल मन में
भाव समाहित
ह्रदय में खिली
कोई धूप सी है
रिश्तों में विफलता
सम्बन्धों की चूक सी है।