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18 Jun 2018 · 1 min read

मन की पीड़ा का मोल नहीं।

मन की पीड़ा

मन की पीड़ा का मोल नहीं।
सन्नाटे भीतर से चीरें
उस पर समाज की जंजीरें
उर अन्तस पीर सहें धीरे
हो रहे व्यथित कुछ बोल नहीं
मन की पीड़ा का मोल नहीं।
तू साहस शील ह्रदय में रख,
साक्षी बन सुख दुःख का फल चख
शायद ईश्वर है रहा परख
सबके आगे मुँह खोल नहीं
मन की पीड़ा का मोल नहीं।
जलनिधि गहरा गंभीर रहा
सहता वो सारी पीर रहा
उसकी चाहत में बूंद बूंद
गलता हिमगिरि का नीर रहा
उथलापन ले तू डोल नहीं
मन की पीड़ा का मोल नहीं।
अनुराग दीक्षित
फर्रुखाबाद

Language: Hindi
350 Views
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