मन की चंचलता बहुत बड़ी है
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
हर एक नयी ख्वाहिश ले कर खड़ी है।
कर देती है इतना व्याकुल
हर मोड़ पर दुविधा ले कर खड़ी है।
मन को कर देती है अशान्त
सबको पाने की इच्छा लेकर खड़ी है।
शान्त मन को रखती है कोशों दूर
दिल में अशांति की बीज लिए खड़ी है।
मन को कर के अपने वश में
अन्तर्मन में चंचलता की जाल बिछाए खड़ी है।