मन की इच्छा मन पहचाने
गीत
मन की इच्छा मन ही जाने
ओ रे पगले कब पहचाने
मन है तेरा, मन है व्याकुल
संकुल संकुल ये है आकुल
जीवन का जब मोल नहीं है
जीवन का जब तोल नहीं है
आ जा आ जा ओ दीवाने
मन है चातक, नभ पहचाने
……..मन की इच्छा मन ही जाने
साधु अवज्ञा कर फल ऐसा
बस मानस का कल है ऐसा
तुलसी कह ये जग संसारा
माया-मोह सगुण विस्तारा
घर की इच्छा घर ही जाने
आटा-दाल उदर पहचाने।।
………मन की इच्छा मन ही जाने
मन की गाँठें, मन के अंदर
मन की साँसें, मन के अंदर
एक जिंदगी मन के बाहर
एक जिंदगी मन से बाहर
क्यों इच्छा ये प्रबल मुहाने
बहती नदिया, जल पहचाने।।
………मन की इच्छा मन ही जाने
सूर्यकांत द्विवेदी