मन का सौन्दर्य (रूप चौदस पर विशेष)
मन की पवित्रता
मन की खुशहाली
में है
चेहरे से ज्यादा सौन्दर्य
रूप का रहता
सौन्दर्य चंद दिन
व्यवहार कुशलता
मधुर भाषा
सत्य वचन देते
जीवन भर का सौन्दर्य
अपने रूप
अपने सौन्दर्य पर
मत इतना इठला
मूर्ख इन्सा
यह तो है चंद दिनों
की चांदनी
बन कर्मठ
बन ईमानदार
बन मातृभूमि भक्त
बन माता पिता का
सेवक
कर ईश वंदना
हर वक्त
यही है
इन्सान का
सच्चा सौन्दर्य
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल