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27 Apr 2024 · 1 min read

मन कहता है

मन कहता है

मन कहता है अब तो मेरा
हर किसी से प्यार कर
अलसाये इस परिवेश में
वीणा की झंकार कर
त्यागी योगी और तपस्वी
साधक तू तैयार कर
जाग उठे मानवता सारी
कुछ ऐसी पुकार कर
जिसको कोई नहीं अपनाता
ऐसो को भी दुलार कर
कष्ट भोगते इस मानव की
चिंता का परिहार कर
अत्याचारी ताकतवर का
कुछ तो तू प्रतिकार कर
गर ऐसा भी कर ना सके तो
मीठी सी मनोहर कर
चिंगारी जो छिपी पड़ी है
अब उसको अंगार कर
काव्य ,कथा और कल्पना
अब इनका श्रृंगार कर
धूल धूसरित हीरे मोती
उनकी कुछ पहचान कर
जड़ता को जो तोड़ सके
विध्वंसी ललकार कर
कौन सुनेगा तेरी पीड़ा
नाहक मत चीत्कार कर
मन कहता है अब तो मेरा
हर किसी से प्यार कर
ओम प्रकाश मीना

4 Likes · 58 Views
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