मन कब स्वच्छ करोगे (गीत)
मन कब स्वच्छ करोगे (गीत)
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कर ली घर की साफ-सफाई
मन कब स्वच्छ करोगे ?
(1)
वर्षा ऋतु लो गई छोड़
घर में मकड़ी के जाले,
दीवारों पर दीख रहे हैं
धब्बे काले – काले ।
रेगमाल से रगड़ी दीवारें
मन कब रगड़ोगे ?
कर ली घर की साफ-सफाई
मन कब स्वच्छ करोगे ?
(2)
हुई सफेदी, घर की शोभा
निखर – निखर कर आई,
कोना- कोना चमक उठा
होकर हर ओर पुताई।
मन को करने साफ ,कहो
ब्रुश लेकिन कब पकड़ोगे ?
कर ली घर की साफ-सफाई
मन कब स्वच्छ करोगे ?
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स्चयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.) 9997615451