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9 Feb 2018 · 1 min read

मन आतुर है जाने क्यों ।

सपने नये सजाने को,
मन आतुर है जाने क्यों ।
तुम सँग गुनगुनाने को,
मन आतुर है जाने क्यों ।

थक गया मैं यूँ अकेले,
अब चला जाता नहीं ।
ज़िंदगी के इस सफ़र में,
और कुछ भाता नहीं ।
तुमको फिर बुलाने को,
मन आतुर है जाने क्यों ।

आशियां छोटा सही,
पर मिलके हम बनाएँगे ।
प्रेम के ऐसे गुलों को,
प्रेम से खिलाएँगे ।
दिल से खिलखिलाने को,
मन आतुर है जाने क्यों ।

Language: Hindi
Tag: गीत
210 Views
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