मन करता है अभी भी,तेरे से मिलने का
मन करता है अभी भी तेरे से मिलने का
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सह न पाई हूं गम,तेरे से बिछड़ने का,
मन करता हैअभी भी,तेरे से मिलने का।
ज़ख्म जो तूने दिए मुझे,नासूर बन चुके,
जी करता है अब तो, उन्हे मसलने का।
भले ही छोड़ दिया अकेला तूने मुझको
मन करता है अभी भी,तेरे साथ चलने का।
जब याद आती है मुझको तेरी तन्हाई में,
मन करता है उस वक्त, तन्हा में रोने का।
बर्बाद किया जिसने हमे,ये राज न खोलेंगे,
मन करता है,अब ये राज सबको बताने का।
हम उनके कुछ भी नही,कहते हैं तो कहने दो,
दिल करता है अभी भी,उन्हे दिल में समाने का।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम