मन अपने बसाओ तो
** गीतिका **
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किसी को आज मन अपने बसाओ तो।
सुकोमल भावनाओं को जगाओ तो।
जरा देखो खिले हैं फूल अति सुन्दर
किसी की याद में कुछ गुनगुनाओ तो।
कहीं कोई किसी को प्यार कर बैठा।
कठिन है राह यह उसको बताओ तो।
बहुत है प्यास मन व्याकुल हुआ जाता।
मिलन की प्यास को आकर बुझाओ तो।
मिले सुनने को प्रियकर सूचना कोई।
कहीं टूटे सितारे को दिखाओ तो।
जरा हटकर करें बातें लगे प्रियकर।
कभी सुन्दर बहाने भी बनाओ तो।
बहुत ही स्नेहपूरित हैं सभी के मन।
पड़ा है छद्म का परदा हटाओ तो।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य