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23 Jul 2024 · 1 min read

*मन् मौजी सा भँवरा मीत दे*

मन् मौजी सा भँवरा मीत दे
**********************

मन मौजी सा भँवरा मीत दे,
दिल को छू जाए संगीत दे।

सूनेपन से जीवन भागता,
मन मंदिर में बसता गीत दे।

तन मन की सरगरमी शांत हो,
दरिया जैसी शीतल प्रीत दे।

हारों के बादल छाये सघन,
गम को हरती रहती जीत दे।

लालच का घेरा ना छू सके,
सदभावों में बहती नीत दे।

लहरों सा लहराए तन बदन,
कुदरत से डरने की भीत दे।

मनसीरत का चित है डोलता,
बदली – बदली सुंदर रीत दे।
***********************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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