Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

मन्नत के धागे

हाथ का कलावा
हर उत्सव पर बदलता है
पर मां के मन्नत का
धागा आज भी मेरे बाजू
पर यथावत बना रहता है।

याद है एक बार
मैं बीमार बहुत पड़ा था
दवा आदि विधिवत
चल रहा था
पर तबियत थी कि
उसमे कोई सुधार ही
नही हो रहा था।

निराश, मेरी माँ
संसार की मां के धाम
दर्शन हेतु गयी
भावावेश में परेशान
पुजारी से अपनी
करुण व्यथा कह गयी।
उनके कहने पर
मन्नत मांग, एक मन्नत के
धागे के साथ लौटी।

पूरे विधि -विधान से
वह धागा मेरे
बाजू पर बांध दिया गया
अब इसे चमत्कार
कहे या संयोग
मेरी तबियत में क्रमशः
सुधार होने लगा
घर मे सबका विश्वास
अब श्रद्धा में
बदलने लगा था।

मैं आज भी
उस घटना के बारे मे
जब सोचता हूँ
एक द्वंद्व में पड़ जाता हूँ
उस चमत्कार को सोच
सिहर जाता हूँ।

विज्ञान के इस युग मे
ऐसी बातें भ्रामक
हो सकती है
पर निर्मेष चश्मदीद
होकर कैसे इसे
एक सिरे से नकार कर
निरर्थक कह दूं
आज भी उस दुविधा से
निरापद ग्रस्त हूँ।

अध्यात्म व विज्ञान के
अंतर्द्वंद्व में झूलता हूँ
कुछ समझ में न तो आता है
न कुछ समझ पाता हूँ।

आज भी वह
मन्नत का धागा
मेरे बाजू पर शोभित
मेरी प्राथमिकता
बन गया है
साथ ही
मुझे माँ के अपने
करीब सदा होने का
अहसास देता रहता है।

निर्मेष

1 Like · 118 Views
Books from Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
View all

You may also like these posts

"मीठा खा कर शुगर बढ़ी अन्ना के चेले की।
*प्रणय*
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
Keshav kishor Kumar
** मैं शब्द-शिल्पी हूं **
** मैं शब्द-शिल्पी हूं **
भूरचन्द जयपाल
दिल की हसरत सदा यूं ही गुलज़ार हो जाये ।
दिल की हसरत सदा यूं ही गुलज़ार हो जाये ।
Phool gufran
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
Aarti sirsat
"तुम्हारे शिकवों का अंत चाहता हूँ
गुमनाम 'बाबा'
कुछ तो मेरी वफ़ा का
कुछ तो मेरी वफ़ा का
Dr fauzia Naseem shad
विषय-बंधन कैसे-कैसे
विषय-बंधन कैसे-कैसे
Priya princess panwar
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
*पहले वाले  मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
*पहले वाले मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
यादों के तटबंध ( समीक्षा)
यादों के तटबंध ( समीक्षा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
कलम और तलवार
कलम और तलवार
Kanchan verma
अरदास
अरदास
Mangu singh
चांद शेर
चांद शेर
Bodhisatva kastooriya
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"शीशा और पत्थर "
Dr. Kishan tandon kranti
"साहित्यकार और पत्रकार दोनों समाज का आइना होते है हर परिस्थि
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
उसने कहा,
उसने कहा, "क्या हुआ हम दूर हैं तो,?
Kanchan Alok Malu
प्रेम
प्रेम
Neeraj Agarwal
देखो आई अजब बहार
देखो आई अजब बहार
Baldev Chauhan
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
The_dk_poetry
वह कौन सा नगर है ?
वह कौन सा नगर है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
इस बरसात में
इस बरसात में
dr rajmati Surana
बन्दर-बिल्ली
बन्दर-बिल्ली
विजय कुमार नामदेव
शीर्षक -श्रीराम की बाल लीला!
शीर्षक -श्रीराम की बाल लीला!
Sushma Singh
23/23.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/23.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
श्री गणेश वंदना
श्री गणेश वंदना
Kumud Srivastava
विचार, संस्कार और रस-4
विचार, संस्कार और रस-4
कवि रमेशराज
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
Harminder Kaur
Loading...