मन्दिर के पट बंद कर दिए
मन्दिर के पट बंद कर दिए, कैसे हम दर्शन कर पायें,
उनकी छवि जो बसी हृदय में, कैसे हम वन्दन कर पायें|
आये हैं हम बहुत दूर से,केवल दर्शन की अभिलाषा,
सबके वे आराध्य रहे हैं, समझ सकेंगे मन की भाषा |
थोड़ी देर कपाट खोल दो, हम सब उन्हें नमन कर पायें,
मन्दिर के पट बंद कर दिए, कैसे हम दर्शन कर पायें |
नहीं माँगना कुछ भी उनसे, उनका दिया सभी कुछ है बस,
सब निरोग हैं, घर में माया, जीवन में बहता है मधुरस |
धन्यवाद उनका करना है, कैसे बिना मिले हम जाएँ,
मन्दिर के पट बंद कर दिए,कैसे अभिनन्दन कर पायें|
जब समानता संविधान में, चाहे नर हो या हो नारी,
दर्शन का अधिकार सभी को, बना रखा क्यों अंतर भारी |
सम्मुख आ कर कैसे लौटें, इस पर भी चिन्तन कर पायें,
मन्दिर के पट बंद कर दिए, कैसे हम दर्शन कर पायें |
हम निराश हो करके लौटें, यह कैसे सम्भव हो पाये,
जो भी आस बसी है मन में, विनती ही सब उन्हें सुनायें |
आप कृपा कर द्वार खोल दें, हम सब पद वन्दन कर पायें,
मन्दिर के पट बंद कर दिए, कैसे हम दर्शन कर पायें |