मनोरम छंद
#छंद – मनोरम
#विधान – 【२१२२ २१२२】
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मीत मन के द्वार खोलो।
प्रेम से कुछ यार बोलो।।
साथ जो मिल जाय तेरा।
सुख भरा हो फिर सबेरा।।
उर भरा अवसाद मेरे।
जी रहा न बिन मै तेरे।।
बह रही है अश्रुधारा।
एक बस तेरा सहारा।।
याद में तुम ही बसे हो।
भाव में तुम ही बसे हो।।
पढ़ न पाया प्यार तेरा।
है अलग अब यार मेरा।।
काश दिन वो लौट आते।
यार तुझको साथ लाते।।
फिर न कोई बात होती।
बस दुखो की रात होती।।
स्वप्न ये साकार होगा।
यार मेरे पास होगा।।
बात बचपन की करेंगें।
यार को उर में भरेंगे।।
#स्वरचित
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’