मनोबल
न डिगे कभी जीवन में , ऊंचा रखे मनोबल।
पग बढ़ते ही जाएं , मेहनत ही होता संबल।
पथ में हों चाहे कांटे , चाहे तूफान घनेरे हों।
मनोबल मत गिरने देना,अंधेरे के बाद सबेरे हों।
बाधाएं आएंगी बेशक , मार्ग को अपने न छोड़ो।
पाना हैं मंजिल तुमको, मुश्किल से न मुंह मोड़ो।
चट्टानों से टकराकर भी,नदी की धारा आगे बढ़ती है।
बढ़ते बढ़ते ही अपने , लक्ष्य को हासिल करती हैं।
मन रख उम्मीद राहों पर आगे बढ़ते जाना।
संभल संभल कर संभलना, अपना मनोबल उच्च बनाना।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश